सीकर. केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही मनरेगा योजना से राजस्थान के अनेकों मजदूरों को रोजगार मिल रहा है. इस योजना में मजदूरी का भुगतान सीधे लाभार्थियों के खाते में आता है. मनरेगा योजना के तहत देश में राजस्थान में सर्वाधिक कुशल श्रमिक हैं. जानकारी के अनुसार मनरेगा के तहत राजस्थान में 1 अप्रैल से लेकर अब तक तक अकुशल श्रमिकों को बतौर पारिश्रमिक के रूप में 5 हजार 917 करोड़ तथा कुशल एवं अर्ध-कुशल श्रमिकों को 36 हजार 703 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है.
राजस्थान सबसे आगे
मनरेगा योजना के आंकड़ों के तहत कुशल मजदूरी करने में राजस्थान देश में पहले नंबर पर है. राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश में 28572 करोड़, बिहार में 15980 करोड़, तमिलनाडु में 14048 करोड़ और मध्य प्रदेश में 9376 करोड़ रुपए कुशल व अर्ध कुशल श्रमिकों को मजदूरी दी गई.
उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक अकुशल श्रमिक
वहीं अकुशल श्रमिकों की श्रेणी में सर्वाधिक मजदूरी उत्तर प्रदेश में 6321 करोड़ दी गई. इसके बाद दूसरे नंबर पर राजस्थान में 5917 करोड़ मजदूरी दी गई. मनरेगा के तहत अकुशल श्रमिकों के लिए राजस्थान के लिए 266 रुपए मजदूरी दर तक की गई. कुशल कर्मचारियों के मामले में मजदूरी दर संबंधित राज्य सरकार की ओर से निर्धारित की जाती है.
क्या है मनरेगा योजना
मनरेगा योजना का मकसद ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को रोज़गार देकर आजीविका सुरक्षा बढ़ाना है. इस योजना के तहत, हर साल ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को कम से कम 100 दिनों का रोज़गार दिया जाता है. इस योजना के तहत रोज़गार एक कानूनी हक़ है. आवेदन करने के 15 दिनों के अंदर काम नहीं मिलने पर आवेदक को बेरोज़गारी भत्ता मिलता है. मनरेगा के तहत, रोज़ाना कम से कम 220 रुपये की मज़दूरी दी जाती है.
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FIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 21:13 IST