श्योपुर. मध्य प्रदेश के विजयपुर में उपचुनाव की वोटिंग के बाद जमकर बवाल हुआ. आरोप है कि वोट नहीं देने पर आगजनी की गई. इसके साथ ही जमकर पत्थरबाजी हुई. विजयपुर के गोहटा गांव में दहशत का माहौल है. जाटव समाज के लोग अपने घरों में कैद रहने को मजबूर हैं. बताते हैं कि 200 से ज्यादा दबंगों ने गांव को चारों ओर से घेर रखा है. उपद्रव कर रहे लोगों ने बाबा साहेब की प्रतिमा को भी तोड़ा दिया है. आरोप है कि विधानसभा उप चुनाव में दबंगों के हिसाब से वोटिंग नहीं करने पर जाटव समाज के लोगों को टारगेट किया जा रहा है.
गांव में उपद्रव का आरोप रावत समाज के लोगों पर है. बताया जा रहा है कि गांव की बिजली काट दी गई है. बिजली के खंभे तोड़ दिए गए है. गांव में बिजली नहीं है. लोगों के फोन डिस्चार्ज हो गए है. इस वजह से वे पुलिस से शिकायत भी नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि पुलिस इस तरह की किसी भी घटना इनकार कर रही है. एसपी का कहना है कि ऐसी कोई भी शिकायत नहीं मिली है.
एएसपी का बड़ा बयान
एएसपी श्योपुर सतेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि दो पक्षों में विवाद की खबर सामने आई थी. घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंची थी. गांव के बाहर सूखा चारा जला हुआ था. कुछ लोग भी मौजूद थी. पुलिस ने लोगों से पूछताछ की थी. किसी ने कोई रिपोर्ट नहीं दर्ज नहीं किया है. मामले की जांच की जा रही है.
2 युवक घायल
विजयपुर उप चुनाव के बाद भी उपद्रव की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है. इस इलाके के गोहटा गांव में बीती रात को रावत समाज के 200 से ज्यादा लोगों ने जाटव (दलित)समाज के लोगों के घरों पर पथराव किया. उनके घरों पर पथराव करके घरों को नुकसान पहुंचाया. पथराव में दो युवक चोटिल भी हुए हैं. उपद्रवियों ने गांव के बिजली के खंभे भी तोड़ दिए. इससे जाटव बस्ती में लोगों को बिजली पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. पुलिस चुनाव के बाद भी हमलावरों पर कोई एक्शन नहीं ले रही है. जबकि, एसपी वीरेंद्र जैन सफाई दे रहे हैं कि गोहटा गांव में कोई घायल नहीं हुआ है. किसी के घरों पर कोई हमला नहीं हुआ. कोई शिकायत पुलिस के पास नहीं आई है. सिर्फ चारे में आग लगी है.
मीडिया में खबरें आने के बाद गुरुवार दोपहर विजयपुर थाना पुलिस इस गांव में पहुंची जरूर, लेकिन उपद्रवियों की पहचान करके उन पर कार्रवाई करने की बजाए जाटव समाज के लोगो को ही समझाकर शांत कराने की कोशिश की गई. टीआई पप्पू यादव ग्रामीणों से यह कह रहे है कि चुनाव में जो हुआ उसे छोड़ो. साथ ही वह मोबाइल से रिकॉर्ड कर रहे युवक को रोक भी रहे है. कुल मिलाकर यहां आरोपियों की बजाए पुलिस ही फरियादियों को ही चुप कराने का प्रयास किया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : November 14, 2024, 14:59 IST