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MP News: महेश्वर की शालिनी होल्कर को पद्मश्री, 17 साल से चला रहीं गुड़ी मुड़ी केंद्र

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Agency:News18 Madhya Pradesh

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Khargone Latest News: महेश्वर की शालिनी होल्कर को महेश्वरी साड़ी की परंपरा को जीवंत रखने और बुनकरों के उत्थान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. उन्होंने 2006 में ‘गुड़ी मुड़ी केंद्र’ की स्थापना की.

शालिनी ने 2006 में महेश्वर में ‘गुड़ी मुड़ी केंद्र’ की स्थापना की.

खरगोन. एमपी के खरगोन जिले के महेश्वर की शालिनी होल्कर को बुनकरों के उत्थान के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री आवार्ड से सम्मानित करने की 25 जनवरी को घोषण की है. खरगोन जिले के गोगांवा के साहित्यकार जगदीश जोशीला के साथ शालिनी होल्कर को भी पद्मश्री आवार्ड मिलेगा. महेश्वरी साड़ी की परंपरा को जीवंत रखने वाली शालिनी होल्कर पिछले 17 साल से चला गुड़ी मुड़ी केंद्र चला रही है. महेश्वर की परंपरागत हथकरघा साड़ियों की विरासत को संजोने और बुनकर समुदाय के उत्थान के लिए काम करने वाली होलकर राजघराने की बहू शालिनी (सैली) होल्कर को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा.

शालिनी ने 2006 में महेश्वर में ‘गुड़ी मुड़ी केंद्र’ की स्थापना की, जो आज बुनकर समुदाय के लिए आजीविका का प्रमुख स्रोत बन गया है. महेश्वर के किला परिसर स्थित अहिल्या बिहार कॉलोनी में उनके द्वारा संचालित हैंडलूम स्कूल में बुनकरों के बच्चों को निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है. यह पहल महारानी अहिल्याबाई होल्कर की विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास है, जिन्होंने स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए महेश्वरी साड़ियों की परंपरा शुरू की थी. शालिनी होल्कर के प्रयासों से न केवल पारंपरिक महेश्वरी साड़ियों का संरक्षण हो रहा है, बल्कि नई पीढ़ी को भी इस कला से जोड़ा जा रहा है.

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उनके केंद्र में हथकरघा बुनाई की बारीकियों के साथ-साथ डिजाइन, रंग संयोजन और बाजार की मांग के अनुसार नए प्रयोगों का भी प्रशिक्षण दिया जाता है. महेश्वर होलकर राज घराने की बहु 82 वर्षीय सैली होलकर जिन्हें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार से नवाजे जाने की घोषणा की गई है. यह सम्मान उन्हें माहेश्वरी साड़ी की बुनाई को पुनर्जीवित करने और (हैंडलूम स्कूल) के माध्यम से बच्चों और महिलाओं को पारंपरिक बुनाई की निःशुल्क तकनीकी शिक्षा प्रदान किए जाने के लिए दिया जा रहा है.

आप को बता दें, अमेरिका की रहने वाली शैली होलकर जिनका विवाह रिचर्ड होलकर से होने के बाद महेश्वर आई उनके द्वारा एक ऐतिहासिक कला धीरे-धीरे जब खत्म हो रही थी, इसे नई जिंदगी दी उन्होंने पति के साथ मिलकर साल 1978 के लगभग उन्होंने मां रेवा सोसाइटी की स्थापना की जो कि बुनकरों के हित में इस सोसाइटी ने अहम भूमिका निभाई. वहीं उन्हीं के द्वारा हैंडलूम स्कूल) भी स्थापित किया गया, जहां महेश्वरी साड़ी की बुनाई के बारे में निःशुल्क तकनीकी शिक्षा यहां दी जाती है.

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