भोपाल. लगातार चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश में भाजपा को मिली जीत का विपरीत असर भी पड़ सकता है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सिर लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव जीत का श्रेय हमेशा उन्हें ही जाता रहा है. साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद से राजनीतिक रूप से स्थितियां जरूर बदल गईं हैं. हो सकता है आने वाले दिनों में दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक वर्चस्व को लेकर लड़ाई भी देखने को मिले.
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मध्य प्रदेश में ही नहीं भाजपा के लिए देश में पीएम नरेंद्र मोदी के बाद ओबीसी (OBC) का बड़ा चेहरा हैं. राज्य में 2005 से 2018 तक और फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण 2020 से 2023 तक मुख्यमंत्री रहे. 2024 लोकसभा चुनाव का एक्जिट पोल भाजपा को फिर से बंपर जीत मिलने का संकेत दे रहा है. विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रदेश भर में दौरे किए और पार्टी उम्मीदवारों के लिए वोट मांगा.
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वहीं, कांग्रेस में रहते हुए 2019 लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस बार जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया देश की राजनीति में बड़ा चेहरा हैं. भाजपा की केंद्र में बनने वाली लगातार तीसरी सरकार में शिवराज सिंह को भी राज्य का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल सकता है, यानि उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में अहम जिम्मेदारी मिल सकती है.
ऐसे हालात में शिवराज सिंह चौहान चाहेंगे कि मध्य प्रदेश में राजीतिक पकड़ उनकी बरकरार रहे. इस कारण से हो सकता है शिवराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई भी देखने को मिले. वैसे सिंधिया मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है, देश की राजनीति में उनकी अपनी जगह है. इसको देखें तो शिवराज सिंह हो सकता है चाहेंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना और आस पास तक के क्षेत्र तक ही सीमित रहें और बाकी राज्य में उनका तिलिस्म बना रहे.
संपादक नवोदय टाइम्स, अकु श्रीवास्तव का मानना है कि भाजपा में अब मोदी शाह के दौर में ऐसा नहीं होता है. राष्ट्रीय नेतृत्व जो आदेश करता है, पार्टी नेताओं को न चाहकर भी उसे मानना पड़ता है. मतभेद या मनभेद कितने ही हों खुलकर सामने आने की कोई हिम्मत नहीं करता है. वहीं वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा भी मानते हैं कि मोदी काल में कोई भी अपने दम पर फैसला करने की हिम्मत नहीं करता है, यहां तक की राज्य में नेतृत्व क्या करेगा यह भी दिल्ली से तय होता है. उन्होंने यह भी हालांकि कहा कि चुनाव को जिताने में शिवराज सिंह की बड़ी भूमिका रही है, लेकिन उन्हे श्रेय नहीं दिया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : June 2, 2024, 13:41 IST