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Public Opinion : इस बार महिलाओं को बजट से काफी अच्छी खासी उम्मीद है. महिलाओं की मांग है कि इस बार बजट में किचन और घरेलू सामान सस्ते होने चाहिए, जिससे कि कुछ राहत मिल सके.
मधुबनी : देश का जब बजट पेश होता है तो सबकी टकटकी निगाहें उसी पर अटकी होती है, आखिर क्या सस्ता हुआ, क्या बढ़ने वाला है, टैक्स कम हुआ या नहीं और सबसे ज्यादा घर की महिलाओं को गैस सिलेंडर और आटा चावल दाल आदि पर ध्यान होता है, क्योंकि यह रोजमर्रा में उपयोग होने वाले सामान हैं. बजट को लेकर मधुबनी की कुछ महिलाओं से हमारी बात हुई आइए समझते हैं…
अगर डाटा पर ध्यान दिया जाए तो बिहार में प्रति व्यक्ति आय लगभग 6 हजार रुपए है. ऐसे में एक परिवार को चलाना काफी मुश्किल हो जाता है. 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश होने वाला है, और ऐसे में महिलाओं की प्रतिक्रिया भी आनी शुरू हो गई हैं. क्योंकि महिलाएं सबसे पहले किचन का ध्यान देती, किचन के सामान में ग्रोसरी का समान हो गैस सिलेंडर हो राशन हो या चावल-दाल, आटा हो तो वह काफी महंगा हो गया है. ज्योत्सना कुमारी लोकल 18 से बात करते हुए बताती है कि हम जेब (पॉकेट) भर के पैसे ले जाते हैं और हम एक थैला भर के सामान ला पाते हैं.
पहले एक 7- 8 लोगों का परिवार 10,000 में पूरे जीवन यापन हो जाता था, लेकिन आज के समय में 20-25 हजार रुपए में भी यह पूरा नहीं हो पता है तो काफी ज्यादा महंगा है. बजट में इस बार इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए.
लोकल 18 की टीम से रीता कुमारी झा जो एक शिक्षिका है वह बताती हैं कि पहले से ज्यादा अब महंगाई है लेकिन इसमें सरकार के पास भी कोई विकल्प नहीं है क्योंकि उत्पादन कम हो रहा तो महंगी होती जा रही है सामान सब, इसके अलावा कालाबाजारी के कारण भी और बिचौलिया भी इसका इक कारण है. क्षमता से ज्यादा मांग भी इक कारण है ऐसे में सरकार को किसान से डायरेक्ट जनता के बीच सामानों का आदान प्रदान करना चाहिए न की बिचौलिया को दें.
बजट का असर सीधा सीधा एक आम आदमी पर पड़ता है. एक परिवार के लिए बहुत सारी चीज उपयोग होता है, जिसमें खाने पीने के सामान साग, सब्जी, आटा, दाल चावल, दूध दही, गैस-सिलेंडर इसके साथ ही बच्चों की पढ़ाई लिखाई और फिर कभी-कभी तो बच्चे महीने में भी बाहर घूमने की भी जिद करते हैं. ऐसे में प्रति व्यक्ति आय को अगर ले लिया जाए तो बहुत ही महंगा हो जाता है, घर परिवार चलाना.
इस विषय पर लोकल 18 की टीम ने बहुत सी महिलाओं से बात की, जिसमें कुछ शिक्षिका ,तो कुछ आम महिला उन्होंने यही बताया है कि सरकार जब बजट बनाती है पिछले कुछ साल के आंकड़ों को ले लिया जाए तो उन्हें काफी परेशानी होती है, वह इस बजट से ना खुश दिखाई देती है क्योंकि अगर हम बच्चे को अच्छी शिक्षा देने लगते हैं तो हमें खाने-पीने में परेशानी आ जाती है. और अगर हम खाने पीने पर अच्छे ध्यान देते तो फिर बच्चे को ठीक से नहीं पढ़ा पाते हैं.
वहीं कुछ महिला यह भी बताती है कि हम रोजमर्रा की चीजों के छोड़कर बढ़ाना है तो उसको बजट में बढ़ाते चलें. साथ ही यह भी बताती है कि हम भी अपनी तरफ से कुछ चीजों में कटौती कर सकते है जैसे घर में पांच लोग है तो दो लोग ही स्मार्ट फोन उपयोग करें, गाड़ी कार ना बल्कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें तो फिर हम जी सकते है.