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Public Opinion: सरकार की नई पहल से खुशी में झूम उठे राजस्थानी लोग, अब स्थानीय भाषा में होगी बच्चों की पढ़ाई

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 पाली. राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर द्वारा जयपुर, उदयपुर, पाली सहित प्रदेश के 6 और जिलों के सरकारी स्कूलों में वहां की मातृभाषा में पढ़ाई करवाने का निर्णय लिया है. इसमें जयपुर, उदयपुर, पाली, राजसमंद, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ शामिल है. इससे पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शिक्षा विभाग सिरोही और डूंगरपुर के कुछ स्कूलों में इसकी शुरुआत वर्ष 2023-24 में हो चुकी है. इन जिलों के शेष स्कूलों में भी नए सत्र से स्थानीय भाषा में पढ़ाई शुरू होगी.

स्थानीय भाषाओं में अब होगी पढ़ाई 
राजस्थान के सरकारी स्कूलों में अब ढूंढाड़ी, मेवाड़ी समेत स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई की सुविधा होगी. अगले शैक्षणिक सत्र से प्राथमिक कक्षाओं कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के स्टूडेंट्स अब स्थानीय भाषाओं में शिक्षा हासिल कर सकेंगे. वही इस नए आदेश का हर जगह अभिभावकों से लेकर शिक्षकों और विद्यार्थियों ने स्वागत भी किया है.

मातृ भाषा में बच्चे सहज करेगा महसूस
शिक्षाविद महेन्द्र सिंह ने लोकल18 से खास बातचीत में कहा कि स्थानीय भाषा के उपयोग और उसके माध्यम से बच्चों को शिक्षित करना आवश्यक है. बच्चे जब अपने परिवेश की कोई भाषा सीखते हैं, तो उनकी समझ जल्दी विकसित होती है. जब बच्चा स्कूल में जाना शुरू करता है तो उसे अलग वातावरण मिलता है, अगर वहां बच्चे को स्थानीय भाषा में पढ़ाया जाएगा, तो वह सहज महसूस करेगा और आसानी से सीखेगा. क्योकि बच्चे बोलचाल की भाषा में जल्दी सीखते है. इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कहा गया है कि प्रारंभिक शिक्षा बच्चों की लोकल भाषा में की जाए.

इसलिए जरूरी है मातृ भाषा
अभिभावक विकास ने लोकल-18 से खास बातचीत में कहा कि बच्चे की सबसे पहली शिक्षक उसकी माता ही होती है. उठने, बैठने से लेकर खाना पीना सभी लोकल भाषा में उसकी मां ही उसको सिखाती है. उसी भाषा में जब वह अपने अध्यापक उसी भाषा में जानकारी प्राप्त करेगा तो उसको बिल्कुल भी परेशानी नही होगी. मातृभाषा में स्कूल शिक्षा का यह आदेश काफी यूजफूल रहने वाला है. बच्चा जितना छोटा होता है. उतना ही ज्यादा सीखना है. जैसे अभिमन्यु अपनी मां की पेट में ही सीख गया था.

राजस्थानी भाषा की मान्यता में भी बनेगा सहायक
अभिभावक रितु ने कहा कि बच्चा बहुत जल्द ही सीख पाएगा साथ ही पढाई में बेहतर विकास होगा. बच्चा अपनी मातृ भाषा के प्रति जागरूक होगा. यह एक बेहतर कदम इसलिए भी कहा जा सकता है कि हमारी राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर भी एक अच्छा कदम है. राजस्थान इससे बहुत अच्छी प्रगृति करेगा जिसका हम स्वागत करते है कि ऐसा सभी स्कूलों में होना चाहिए.

विद्यार्थियों ने कहा हमारे लिए गर्व की बात
विद्यार्थी प्रियंका ने कहा कि हमारी जब मात्र भाषा में हमे शिक्षा दी जाएगी तो इससे बडी खुशी की बात हमारे लिए और क्या हो सकती है. जो बच्चे अपनी मातृ भाषा के बारे में नही जानते होंगे तो उनको यह भी पता चल पाएगा कि हमारी मातृ भाषा कैसी होती है. बच्चे जागरूक होंगे और हमारे लिए यह गर्व की बात भी है.

2 जिलो में पहले से चल रहा यह शिक्षण कार्यक्रम
वर्तमान में 2 जिलों (सिरोही और डूंगरपुर) के कुछ स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बहुभाषी शिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसे अगले सत्र से प्रदेश के सिरोही-डूंगरपुर सहित 9 जिलों में लागू किया जाएगा. इसके साथ ही सत्र 2026 से ये कार्यक्रम प्रदेश के 25 जिलों में संचालित किया जाना प्रस्तावित है. फिलहाल जयपुर में ढूंढाड़ी, उदयपुर, चित्तौड़गढ़-प्रतापगढ़ में मेवाड़ी, डूंगरपुर-बांसवाड़ा में वागड़ी, राजसमंद में मेवाड़ी, बागड़ी, सिरोही में मारवाड़ी, पाली में राजस्थानी गोडवाड़ी भाषा बोली जाती है. शिक्षा विभाग इन्हीं स्थानीय भाषाओं में स्टूडेंट्स को पढ़ाने की तैयारी है.

Tags: Education Minister, Government of Rajasthan, Government School, Local18, Pali news



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