Success Story, IIT Student Story: अक्सर 10वीं-12वीं में ही तमाम युवा अपना लक्ष्य तय कर लेते हैं. किसी को डॉक्टर बनना होता है, तो किसी को इंजीनियर. इंजीनियरिंग वालों का सपना होता है कि कैसे भी उन्हें आईआईटी में एडमिशन मिल जाए. फिर तो उनकी लाइफ सेट हो जाएगी, लेकिन यह स्टोरी उससे उलट है.
यह कहानी है झारखंड के एक छोटे से शहर चाईबासा से निकले अंकित प्रसाद (Ankit Prasad) की. अंकित के पिता चाईबासा के टाटा कॉलेज में लैब इंचार्ज हुआ करते थे. बाद में किस्मत ने साथ दिया, और उनकी नौकरी आईआईटी जमशेदपुर (IIT Jamshedpur) में लग गई. अंकित और उनके भाई राहुल जब 10वीं-12वीं में थे, तभी स्कूल के दिनों से ही उन्हें एक चस्का लग गया. वह था वेब डिजाइनिंग का. उन्हें वेब की दुनिया में मजा आने लगा. दोनों भाइयों ने मिलकर वेब डिजाइनिंग का काम शुरू कर दिया. असल में अंकित को बचपन से ही कंप्यूटर का शौक था. इसी बीच, 1995 में उनके पिता ने एक कंप्यूटर गिफ्ट कर दिया, जिसकी वजह से वह 6 साल की उम्र से ही प्रोग्रामिंग सीखने लगे.
पढ़ाई के साथ-साथ कमाई
10वीं की परीक्षा में उन्होंने टॉप थ्री में अपनी जगह बनाई. 2005 में अंकित और राहुल ने कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ वेब सर्विसेज के माध्यम से कमाई भी शुरू कर दी. वे होटल और रेस्टोरेंट आदि के लिए वेबसाइट बनाने लगे, लेकिन जैसे छोटे शहरों के युवाओं का आईआईटी में एडमिशन (IIT Admission) का सपना होता है, वैसे ही सपने अंकित की आंखों में भी पल रहे थे. लिहाजा, उन्होंने 2007 में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा दी और 5000 से ज्यादा रैंक हासिल की. हालांकि, उन्हें रैंक के आधार पर एनआईटी जमशेदपुर में एडमिशन मिल रहा था, लेकिन उन्होंने नहीं लिया.
आईआईटी में करने लगे पढ़ाई
दूसरी बार, उन्होंने 2008 में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा दी और 400वीं रैंक हासिल की. आखिरकार, उन्हें 2008 में आईआईटी दिल्ली में एडमिशन मिल गया और वह मैथमेटिक्स और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की पढ़ाई करने लगे, लेकिन यहां आने के बाद उन्हें कई तरह के लोगों से मिलने का अवसर मिला. अंकित कहते हैं, जब इनोवेशन की दुनिया और इनोवेटिव लोगों के आइडियाज देखे, तो उनका दिमाग भी कुछ इनोवेटिव करने की तरफ घूमने लगा. अंकित कहते हैं कि उस समय दिल्ली का स्टार्टअप इकोसिस्टम हमें खींच रहा था. जोमैटो, फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों को उभरते देख, हमने तय किया कि हमें भी कुछ बड़ा करना है.
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और 2012 में छोड़ दी आईआईटी
अंकित कहते हैं कि IIT दिल्ली आने के बाद कई कंपनियों के साथ काम किया और बहुत कुछ सीखा. इसके बाद, एक सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म टच टैलेंट बनाया, लेकिन यह बहुत कामयाब नहीं हुआ. अपने सपनों को पूरा करने के लिए, 2012 में उन्होंने आईआईटी दिल्ली छोड़ दिया और 2015 में अपने भाई राहुल के साथ मिलकर बॉबल एआई बनाया. इस कंपनी ने “Bobble Indic कीबोर्ड” बनाया, जो भारत की 37 भाषाओं समेत लगभग 120 भाषाओं को सपोर्ट करता है. 2023 में अंकित की कंपनी का रेवेन्यू 750 करोड़ रुपये था. ऐसे में अंकित की यह कहानी बताती है कि अगर आपके पास कुछ करने का हौसला है, तो किसी भी सपने को पूरा करना असंभव नहीं है.
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FIRST PUBLISHED : November 26, 2024, 17:47 IST