पश्चिम चम्पारण. बिहार के इकलौते टाइगर रिजर्व “वाल्मीकि” में पर्यटन सत्र का औपचारिक समापन हर वर्ष 15 जून को होता है. हालांकि कई मौकों पर सफारी का समापन मौसम के अनुसार करना पड़ा है. बिहार में मॉनसून का आगमन यदि पहले हो गया तथा बारिश लगातार होने लगी, तो फिर ऐसी स्थिति में पर्यटन सत्र की समाप्ति भी तुरंत कर दी जाती है. लेकिन, यदि मॉनसून का आगमन देरी से हुआ और बरसात की स्थिति नहीं रही, तो फिर ऐसी स्थिति में सफारी का सिलसिला चलता ही रहता है.
दो महीने में 81,991 पर्यटकों ने किया वीटीआर का दौरा
आश्चर्य की बात यह है कि जैसे-जैसे पर्यटन सत्र की समाप्ति की तिथि नजदीक आ रही वैसे-वैसे वीटीआर में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होते जा रहा है. खास बात यह है कि 40 डिग्री से ऊपर की भीषण गर्मी में भी पर्यटक सफारी के लिए वीटीआर का रुख कर रहे हैं. वीटीआर के फील्ड डायरेक्टर डॉ. नेशामणि के. की माने तो, सिर्फ जून महीने में करीब 13 हजार पर्यटकों के वीटीआर पहुंचने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि मॉनसून के सक्रिय होते ही सफारी सीजन की समाप्ति हो जाएगी. चौंकाने वाली बात यह है कि अप्रैल से मई तक में कुल 81,991 पर्यटकों ने वीटीआर का दौरा किया है, जिसमें रूम बुकिंग तथा सफारी को लेकर भुगतान करने वाले कुल 12,069 पर्यटक शामिल हैं, जबकि 69,923 पर्यटक बिना किसी भुगतान के स्वतंत्र रूप से पहुंचे हैं.
इन कारणों से थम जाता है जंगल सफारी का सिलसिला
बता दें कि पर्यटन सत्र की समाप्ति के साथ ही वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी, गंडक सफारी तथा वाल्मीकि आश्रम के दौरे का सिलसिला बंद हो जाता है. हालांकि इसके अलावा पर्यटन के अन्य रास्ते खुले रहते हैं. दरअसल, बरसात के समय में पहाड़ी नदियों द्वारा लाई गई रेत, मिट्टी तथा पत्थर जंगल के रास्तों को अवरुद्ध कर देती है. जिसके चलते सफारी का ट्रैक बिगड़ जाता है. परिणाम स्वरूप सफारी को बंद करना पड़ता है. इसके अलावा बरसात में पहाड़ों पर गाड़ियों को चढ़ाने में बेहद दिक्कतें आती है, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से बिल्कुल भी सही नहीं होती है. इतना ही नहीं, बरसात का मौसम जानवरों के लिए मीटिंग के लिए सबसे उचित होता है. अतः इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सफारी के परिचालन पर अंकुश लगा दिया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : June 13, 2024, 17:34 IST