रीवा : कहा भी गया है कि जब मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो राह अपने आप बन जाती है. रीवा में शंकर बंसल ने भी कुछ ऐसा ही कर अपनी नई राह तलाशी. पुरातत्व विभाग में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी से निकाले गए शंकर बंसल ने अपनी राह अपनी मेहनत से खुद बना ली. शंकर ने अपने पुस्तैनी काम को अपना कर खुद का रोजगार स्थापित किया. वह अब बांस की झाडू बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. शंकर रीवा में एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके हाथों में बांस की झाडू बनाने की कला है. उनकी बनाई हुई झाडू की बहुत डिमांड है.
नौकरी छूटने का मलाल, लेकिन लाचार नहीं
रीवा शहर के गुढ़ चौराहे में स्थित बंसल बस्ती के निवासी शंकर बंसल के परिवार में माता-पिता, पत्नी बच्चे मिलाकर 7 सदस्य हैं. नौकरी छूटने के बाद भी शंकर बंसल ने हार नहीं मानी और विरासत में मिले पुस्तैनी काम की शुरआत की. पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे कार्य को आगे बढ़ाते हुए अब वह अपने पैरों पर खड़े हैं. शंकर बंसल ने बताया कि “नौकरी छूट जाने का मलाल तो है मगर वह लाचार नहीं हैं. पुस्तैनी काम से अपना रोजगार स्थापित कर लिया है. वह एक माह में बांस से 15 से 20 हजार तक की कमाई कर लेते हैं.
नौकरी छूटने के बाद हैंडमेड झाड़ू से मचाई धूम
शंकर ने बताया उनके द्वारा हाथों से निर्मित की गई झाड़ूओं की बड़ी डिमांड है. सड़कों की सफाई के अलावा उनकी बनाई झाड़ू की डिमांड सरकारी दफ्तरों में है. हर जगह उनकी बनाई हुई बांस की झाड़ुओं का इस्तेमाल होता है. शंकर बंसल का कहना है “एक बांस से 5 छोटी झाडू और 3 बड़ी झाडू तैयार होती हैं. एक बांस की खरीदी में उन्हे 200 से 300 रुपए व्यय करने पड़ते हैं. इसके बाद बड़ी जटिलता के साथ बांस से निर्मित झाडू बनकर तैयार होती है. कई बार बांस के लकड़ियों की फांस उनके हाथ के गदेलियों में चुभती है, मगर इसके बावजूद वह इस जटिल कार्य को बखूबी करते हैं.
राज्य सरकार से मदद की आस में शंकर बंसल
शंकर का कहना है बहुत से लोग उनकी बनाई झाडू की बड़ी तारीफ करते हैं. मगर आज के परिवेश में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो छुआछूत के चलते उनकी झाड़ू को खरीदना पसंद नही करते.अगर सरकार से उन्हें कोई आर्थिक मदद मिल जाए तो वह उससे अपने रोजगार का विस्तार करके अपनी इनकम को बढ़ाने के साथ ही अन्य लोगों को रोजगार दे सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 18, 2024, 09:03 IST