मंडी. छोटी काशी मंडी में आज फिर एक बार करीब 300 साल पुराना इतिहास दोहराया गया है. कुल्लू घाटी के प्रमुख देवताओं में से एक देव श्रृंगा ऋषि आज 150 साल बाद मंडी में फिर से पहुंचे हैं. इतिहास की माने तो श्रृंगा ऋषि रियासत काल में करीब 300 वर्ष पहले मंडी आए थे.
दरअसल मंडी में इस समय रामार्चा महायज्ञ चल रहा है जिसमें देश भर से लगभग 300 साधु संत भाग ले रहे हैं. यह रामार्चा महायज्ञ 14 नवम्बर तक चलेगा और इसमें भगवान राम की लीला का वर्णन किया जा रहा है. ऐसे में कुल्लू घाटी के देव श्रृंगा ऋषि को भी आयोजकों द्वारा निमंत्रण दिया गया था. आज देवता श्रृंगा ऋषि इस महायज्ञ में भाग लेने मंडी पहुंचे हैं.
कौन थे श्रृंगा ऋषि और क्या है भगवान राम से उनका रिश्ता
श्रृंगा ऋषि एक महान ऋषि थे और राजा दशरथ को पुत्रों की प्राप्ति के लिए इन्होंने ही हवन करवाया था. हवन पूर्ण हो जाने के बाद राजा दशरथ को पुत्र की प्राप्ति हुई थी. इस लिए भी श्रृंगा ऋषि को विशेष रूप से इस रामार्चा महायज्ञ में शामिल होने के लिए न्योता दिया गया था.
ज्वालापुर के आदि गणपति और श्रृंगा ऋषि का हुआ देव मिलन
इतिहास को और सुनहरा बनाते हुए आज कुल्लू घाटी के आराध्य देव श्रृंगा ऋषि का मंडी जिला के आराध्य देव आदि गणेश के देव रथों का आपस में देव मिलन भी हुआ है. अब दोनों देवता का रथ 14 तारीख तक महायज्ञ के पंडाल में ही विराजमान रहेगा.
हजारों अश्वमेद्य यज्ञों के बराबर इस यज्ञ का फल
इस एक यज्ञ का फल हजारों अश्वमेद्य यज्ञों समान है. जो व्यक्ति इस अनुष्ठान में शामिल होता है उसके सभी पाप मिट जाते हैं. कष्टों का निवारण होने के साथ शांति, समृद्धि, शक्ति और विशेष कृपा प्राप्त होती है. यह मनवांछित फल देने वाला अनुष्ठान है. प्राचीन काल में लगातार ये आयोजन किए जाते थे. जिनमें समाज के सभी वर्गों के लोग सम्मिलित होकर एक नई ऊर्जा को प्राप्त करते थे।
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FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 16:49 IST